अक्ल बाटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारी । सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी । सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी । पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी। मेकअप की थी गहन प्रक्रिया, एक एक पर भारी । बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी बारी । उधर विधाता ने पुरूषों में, अक्ल बाँट दी सारी । ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर, जब पहुँची सब नारी । बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है, नहीं अक्ल अब बाकी । रोने लगी सभी महिलाएं , नींद खुली ब्रह्मा की । पूछा कैसा शोर हो रहा है, ब्रह्मलोक के द्वारे ? पता चला कि स्टॉक अक्ल का पुरुष ले गए सारे । ब्रह्मा जी ने कहा देवियों , ...
एक ही विषय पर 6 शायरों का अलग नजरिया......... 1- Mirza Ghalib: 1797-1869 "शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।" ....... इसका जवाब लगभग 100 साल बाद मोहम्मद इकबाल ने दिया...... 2- Iqbal: 1877-1938 "मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं , काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।" ....... इसका जवाब फिर लगभग 70 साल बाद अहमद फराज़ ने दिया...... 3- Ahmad Faraz: 1931-2008 "काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर, खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।" ....... इसका जवाब सालों बाद वसी ने दिया...... 4- Wasi:1976-present "खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है, तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।" वसी साहब की शायरी का जवाब साकी ने दिया 5- Saqi: 1936-present "पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए, जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नहीं ।।।।। [11:36 AM, 11/5/2017] Parmila Kumar: ना जाने कौन कौन से विटामिन है *तुममे.....ऐ दोस्तो * एक दिन न याद करू तुमको तो सारा दिन कमजोरी सी महसूस होती है...
Superb superb
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