ये पढ़ाने वाली औरतें जी नहीं पाती अपने हिस्से का प्यार..
ये पढ़ाने वाली औरतें
जी नहीं पाती अपने हिस्से का प्यार..
अलार्म दिमाग में लगाकर उठ जाती है अलसुबह.
महसूस नहीं कर पाती सुबह की अंगड़ाईयां
पल एक पल की भोर में
कभी भी नहीं रखती अधूरा टिफिन
पति और बच्चों का..
खुद के आटो या बस पकड़ने के फेर में
सिर्फ महसूस कर पाती है बच्चों की बाय.
घर से स्कूल तक की भागाभागी में
नहीं कर पाती है सुबह की गुलाबी सैर
मेंहदी वाली इनकी हथेलियां रंगी रहती है
लाल पेन की स्याही से
पूरा दिन खपा आती है
जांच अधिकारियों के खौफ के बीच
स्कूल के शिक्षण कार्य के दौरान
छुपा लेती है आंचल में ही नन्हें बच्चे की भूख
घर की चौखट पर भूल जाती है तमाम रिश्तों को
ताकि बचा रहें सिर्फ एक कैजूअल लीव
कमाने को चन्द कागज के टुकड़े
खो देती है ये अपना सब सुख
बंचित होकर सभी प्यार और रिश्तों से
हमेशा मुस्कराती ही रहती है ये पढ़ाने वाली औरतें
सच में कभी जी पाती है ये पढ़ाने वाली औरते
अपने हिस्से का प्यार और दुलार ???
________
सप्रेम समर्पित
हमारी महिला अध्यापिकाओं को
जी नहीं पाती अपने हिस्से का प्यार..
अलार्म दिमाग में लगाकर उठ जाती है अलसुबह.
महसूस नहीं कर पाती सुबह की अंगड़ाईयां
पल एक पल की भोर में
कभी भी नहीं रखती अधूरा टिफिन
पति और बच्चों का..
खुद के आटो या बस पकड़ने के फेर में
सिर्फ महसूस कर पाती है बच्चों की बाय.
घर से स्कूल तक की भागाभागी में
नहीं कर पाती है सुबह की गुलाबी सैर
मेंहदी वाली इनकी हथेलियां रंगी रहती है
लाल पेन की स्याही से
पूरा दिन खपा आती है
जांच अधिकारियों के खौफ के बीच
स्कूल के शिक्षण कार्य के दौरान
छुपा लेती है आंचल में ही नन्हें बच्चे की भूख
घर की चौखट पर भूल जाती है तमाम रिश्तों को
ताकि बचा रहें सिर्फ एक कैजूअल लीव
कमाने को चन्द कागज के टुकड़े
खो देती है ये अपना सब सुख
बंचित होकर सभी प्यार और रिश्तों से
हमेशा मुस्कराती ही रहती है ये पढ़ाने वाली औरतें
सच में कभी जी पाती है ये पढ़ाने वाली औरते
अपने हिस्से का प्यार और दुलार ???
________
सप्रेम समर्पित
हमारी महिला अध्यापिकाओं को
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