तारीफ़ और ख़ुशामद में एक बड़ा फ़र्क़ है

तारीफ़ और ख़ुशामद में एक बड़ा फ़र्क़ है

तारीफ़
आदमी के काम की होती है, और
ख़ुशामद
काम के आदमी की !

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