ज़िन्दगी कशमकश के अजीब दौर से फिर गुज़र रही हैं,

 ज़िन्दगी कशमकश के
   अजीब दौर से
   फिर गुज़र रही हैं,

   यह Mid forty/ fifty भी
   कुछ Teenage सी
   लग रही रही हैं।

   हार्मोनल लहरों ने
   जवानी की दहलीज़ पर
   ला पटका था,

   उफ़ ! तन और मन कैसे
   उन मनोस्तिथियों से
   निपटा था !

   जल्दी बड़े दिखने की
   चाहत में कितने
   जतन करते थे,

   अब बड़े न दिखे,
   की चाहत में
   कितने जतन करते हैं !

   तब भी सुना था
   बड़े हो चले हो,
   अब थोड़ा ढंग से
    पेश आया करो,

   अब सुनता हूँ,
   पचपन के हो चले हो,
   कुछ तो शर्म खाया करो!

   अब कम्बख़्त, जवानी भी
   अलविदा कह
   जान छुड़ाना चाहती हैं,

   रँगे बालों की जाती रंगत,
   रह रह कर बदहवासी
   आईने में दिखाती हैं !

   वक़्त सीमित है,
   जानता हर कोई है,
   पर मानना नहीं चाहता,

   बस अंधी दौड़ में
   शामिल रह कर
   दिल को है बहलाता !

   काश कि हम सब
   Expiry डेट के साथ
   इस दुनिया में आते,

   ज़िन्दगी को जीने और
   एक दूसरे की
   अहमियत के मायने ही
   बदल जाते !

   सूरत बदल जाएगी,
   उम्र ढल जाएगी,
   खर्च हो कर
   साँसे सिमट जाएँगी,

   पर मेरे दिल की जवानी
   पूरे भरोसे के साथ
   अंत तक
   मेरा साथ निभाएगी !

   फिलहाल ज़िन्दगी
   कशमकश के
   अजीब दौर से
   गुज़र रही है,

   यह Mid forty/ fifty भी
   कुछ Teenage सी
   लग रही रही हैं !!
   ●◆●◆●

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