बड़े बावरे हिन्दी के मुहावरे हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,खाने पीने की चीजों से भरे है... कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है, कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है , फलों की ही बात ले लो... आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं, कभी अंगूर खट्टे हैं, कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं, कहीं दाल में काला है, तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती, कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है, तो कोई लोहे के चने चबाता है, कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है, कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है, मुफलिसी में जब आटा गीला होता है, तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है, सफलता के लिए बेलने पड़ते है कई पापड़, आटे में नमक तो जाता है चल, पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है, अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है, गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं, और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं, कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है, कभी ऊँट के मुंह में जीरा है, कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है, किसी के दांत दूध के हैं, तो कई दूध के धुले हैं, कोई जामुन के रंग सी चमड़ी प...